रामवृक्ष बनीपुरी की गणना हिन्दी साहित्य के महान लेखकों में की जाती है । इनका लिखा गया प्रत्येक शब्द व वाक्य क्रांति के छेत्र में एक नवीन मार्ग प्रशस्त करता है । समाजसेवी एवम् राजनीतिज्ञ के नाते अपना जो कुछ लिखा है , वह स्वतंत्र भाव से लिखा है ।
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुरी नामक ग्राम में जनवरी सन 1902 में हुआ था ।इनके पिता श्री फूलवंत्त सिंह एक साधारण किसान थे। बाल्यावस्था में ही इनके माता पिता की छत्र छाया इनके सिर से उठ गई थी तथा इनका पालन पोषण इनकी मौसी ने किया । इनकी प्रारंभिक शिक्षा बेनीपुरी में ही हुई थी बाद में अपने ननिहाल में भी पढ़ें। मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने से पूर्व ही सन 1920 में इन्होने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और गांधी जी के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। मात्र 18 वर्ष की आयु में ये स्वतंत्रता सैनिक बन गए स्वाध्याय के बल पर ही इन्होंने साहित्य की विशारद परीक्षा उत्तीर्ण की।
स्वतन्त्रता के इस महान पुजारी ने अपने निबंधों एवं लेखो के द्वारा मनुष्यों के हृदय में देशभक्ती की भावना का संचार किया ।इन्होंने राष्ट्रसेवा के साथ साथ साहित्य सेवा भी की। देश सेवा के परिणाम स्वरूप इनको अनेक बार जेल यातनाएं भी सहन करनी पड़ी । स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश में पद और मान पाने की जो होड़ लगी उसे देखकर उनका काफी हृदय विचलित हो उठता था। स्वतंत्रता और साहित्य के इस प्रेमी ने सन् 1968 में चिरनिंद्रा को वरण किया।
बाल्यावस्था से ही बेनीपुरी जी की साहित्य लेखन में अभिरुचि थी । पंद्रह वर्ष की अल्पायु से ही इन्होंने पत्र पत्रिकाओं में लिखना प्रारंभ कर दिया था पत्रकारिता से ही इनकी साहित्य साधना का श्रीगणेश हुआ था । करागारवास में भी इन्होंने साहित्य साधना को बनाए रखा। इन्होंने बालक,तरुण भारती,मित्र,किसान,योगी, हिमालय तथा जनता आदि पत्र पत्रिकाओं का सफल संपादन किया।
इनकी प्रमुख कृतियां निम्नलिखित है
रेखाचित्र>
माटी की मूरते,लाल तारा आदि ।
संस्मरण >
जंजीरे और दीवार तथा मील के पत्थर।
निबंध>
गेहूं बनाम गुलाब , मशाल आदि।
कथा साहित्य>
पतितो के देश में (उपन्यास), चिता के फूल (कहानी) ।
जीवनी>
महाराणा प्रतापसिंह, कार्ल मार्क्स,जयप्रकाश नारायण।
नाटक>
अम्बपाली,सीता की मां, रामराज्य आदि ।
यात्रा>
पैरों में पंख बांधकर एवं उड़ते चलें ।
आलोचना>
विद्यापति पदावली एवं सुबोध का टीका।
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