Sunday, 23 July 2017

मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय और उनकी रचनाएं

मुंशी प्रेमचंद

प्रेमचंद का जन्म वाराणसी के लमही ग्राम के एक निर्धन कृषक परिवार में सन् 1880 ई० में हुआ था इन्होंने बी० ए० तक की शिक्षा प्राप्त की। प्रेमचन्द का बचपन कठिनाइयों में व्यतीत हुआ।जीवन की विषम परिसथितियों में भी उनका अध्ययन क्रम चलता रहा । उन्होंने उर्दू का भी विशेष ज्ञान प्राप्त किया।जीवन संघर्ष में जूझते हुए वे एक स्कूल अध्यापक से सब डिप्टी इंस्पेक्टर पद पर भी आसीन हुए थे। वे कुछ समय तक काशी विद्यापीठ में अध्यापक भी रहे ।उन्होंने कई साहित्यिक पत्रो का संपादन किया,जिनमें हंस प्रमुख है ।आत्म गौरव के साथ उन्होंने साहित्य के उच्च आदर्शो की रक्षा की। उनका बचपन का नाम धनपतराय था ,किन्तु उर्दू में वे नवाबराय के नाम से कहानी लिखते थे। वे अंग्रेजी कोप भाजन भी रहे।उन्होंने प्रेमचंद नाम से हिन्दी में सामाजिक कहानियों की रचना की तथा शीघ्र ही लोकप्रिय कथाकार हो गए।हिन्दी पत्र पत्रिकाओं ने उनकी रचनाओं को अति महत्व दिया । उपन्यासकार कहानीकार संपादक अनुवादक नाटककार,निबंध लेखक आदि के रूप में प्रेमचंद प्रतिष्ठत हुए।उनके कृतित्व में जीवन सत्य का आदर्श रूप उभर कर आया है, परिणामस्वरूप वे सार्वभौम कलाकार के रूप में प्रतिष्ठित हुए । 1936 ई० में इनका निधन हो गया।

मुंशी प्रेमचन्द की रचनाएं

प्रेमचंद के कहानी संग्रह है~ सप्त सरोज,नवनिधी, प्रेंमपूर्णीमा,बड़े घर की बेटी,लाल फीता,नमक का दारोगा,प्रेम पच्चीसी,प्रेम प्रसून,प्रेम द्वादशी,प्रेम प्रमोद,प्रेम तीर्थ,प्रेम चतुर्थी,प्रेम प्रतिज्ञा,सप्त सुमन,प्रेम पंचमी,प्रेरणा,समर यात्रा, पंच प्रसून,नवजीवन,मंत्र,सौतन,पूष की एक रात,बड़े भाई साहब,बलिदान,ठाकुर का कुंआ,आत्माराम,ईदगाह,शतरंज के खिलाड़ी आदि इनकी प्रमुख कहनिया है।

उपन्यास~ 
सेवासदन,प्रेमाश्रम,निर्मला,रंगभूमि, कायाकल्प,गबन,कर्मभूमि,गोदान, मंगलसूत्र (अपूर्ण) आदि।
गोदान हिन्दी साहित्य का सर्व श्रेष्ठ उपन्यास है।
नाटक~ संग्राम कर्बला,प्रेम की वेदी,आदि।
इन्होंने जीवनी,निबंध,और बलोपयोगी साहित्य की भी रचना की।

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