Saturday, 22 July 2017

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय एवं उनकी रचनाएं

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
आधुनिक हिंदी साहित्य को समृद्धशाली बनाने का श्रेय आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी को है ।इन्होंने हिन्दी भाषा का संस्कार करके गद्य को सुसंस्कृत, परिमार्जित एवं प्रांजल रूप प्रदान किया
हिंदी की इस महान विभूति का जन्म 1864 ई० में जिला रायबरेली के दौलतपुर नामक ग्राम में हुआ था।इनके पिताश्री रामसहाय द्विवेदी सेना में थे । आर्थिक स्थिति प्रतिकूल होने के कारण इनकी शिक्षा सुचारू रूप से न चल सकी। शिक्षा समाप्ति के बाद जी०आर०पी० (रेलवे) में नौकरी कर ली सन् 1903 में नौकरी छोड़ कर ये सरस्वती के संपादक बने । अपने सशक्त लेखन द्वारा हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि करते हुए उन्होंने सन् 1938 में अपनी लीला समाप्त कर दी 
आचार्य द्विवेदी जी की आरंभ से ही साहित्य में गहन रूचि थी । इनकी साहित्य साधना का शुभारंभ सन् 1903 से हुआ,जब सरस्वती के संपादन का भार संभालकर अपना पूर्ण जीवन हिन्दी साहित्य को समर्पित किया 

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रमुख रचनाए

 काव्य संग्रह>

कव्यमंजूषा,कविताकलाप,सुमन आदि।

निबंध>

उत्कृष्ट कोटि के सौ से भी अधिक निबंध जो सरस्वती तथा अन्य पात्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।

अनुवाद>

ये उच्चकोटी के अनुवादक भी थे। इन्होंने संस्कृत और अंग्रेजी भाषाओं से अनुवाद किया।कुमारसम्भव, वेकनविचार,मेघदूत, विचाररतनावली,स्वाधीनता आदि 

संपादन>

इन्होंने सरस्वती मासिक पत्रिका का संपादन किया।
 


द्विवेदी जी भाषा के आचार्य थे। इनकी भाषा शुद्ध, परिष्कृत एवं परिमार्जत है। इन्होंने तत्सम एवं तदभव,दोनों शब्दों का प्रयोग अपने साहित्य में प्रचूर मात्रा में किया है। भाषा में इन्होंने संस्कृत,अंग्रेजी फारसी शब्दों का ही प्रयोग किया है। साहित्य में सजीवता एवं प्रवाह लाने के लिए इन्होंने कहावतो एवं मुहावरों का भी समावेश किया है।
द्विवेदी जी की शैली में भी विविधता है। इनकी शैली व्यास शैली है। इन्होंने अपने निबंधों में परिचयात्मक शैली,आलोचनात्मक शैली ,भावात्मक शैली,वर्णनात्मक शैली, गवेषणात्मक शैली,विचार  शैली तथा आत्म कथात्मक शैली आदि अनेक शैलियों का प्रयोग किया है

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का गद्य निर्माता के रूप में विशिष्ट स्थान है। हिंदी साहित्य में इनके योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता है।इनका समय हिन्दी में द्विवेदी युग के नाम से जाना जाता है। निसंदेह द्विवेदी जी युग निर्माता,साहित्यकार एवं आधुनिक हिंदी साहित्य के समर्थ आचार्य थे।

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